अंकिरा - सरकार द्वारा किसानों की सुविधा के लिए बनवाए जा रहे खाद गोदामों में लापरवाही और भ्रष्टाचार की बू साफ़-साफ़ आने लगी है। कोनपारा टीएसएस में हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से 25 लाख रुपये की लागत से निर्मित खाद गोदाम पहली ही आंधी में जर्जर हो गया। भवन की छत पर लगा अल्वेस्टर पूरी तरह टूट गया, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
ग्रामीणों ने जताई थी आपत्ति, नहीं ली गई सुध
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, निर्माण कार्य की शुरुआत से ही घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा था। इसको लेकर वहां काम कर रहे मुंशी और संबंधित विभाग को कई बार हिदायत दी गई थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब जब पहली ही आंधी में गोदाम की स्थिति सामने आई है, तो ग्रामीणों की चिंताएं सही साबित हुई हैं।
तीन साल से चल रहा निर्माण, फिर भी एक माह में हालत खराब
जानकारी के अनुसार, इस भवन का निर्माण कार्य बीते तीन वर्षों से कछुए की चाल में चल रहा था। हाल ही में यह कार्य पूरा हुआ, लेकिन अभी एक माह भी नहीं बीता कि इसकी पोल खुल गई। भवन की दीवारों और छतों से प्लास्टर उखड़ने लगा है और बालू झड़ती साफ दिख रही है।
बिना बोर्ड के किया गया निर्माण पारदर्शिता पर सवाल
चौंकाने वाली बात यह है कि निर्माण स्थल पर कोई जानकारी संबंधी बोर्ड तक नहीं लगाया गया। न तो विभाग का नाम, न लागत, और न ही ठेकेदार की जानकारी दी गई। इससे निर्माण की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठते हैं।
इंजीनियर-ठेकेदार की मिलीभगत का आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि संबंधित विभाग के इंजीनियर और ठेकेदार की मिलीभगत से यह घटिया निर्माण कार्य हुआ है। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर लापरवाही का संज्ञान लें। करोड़ों की योजनाएं तब तक सफल नहीं हो सकतीं जब तक क्रियान्वयन में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित न हो।
इस संबंध में हाउसिंड बोर्ड के इंजीनियर नेमिश पटेल से इस हुए घटिया निर्माण और अलवेस्टर के टूट जाने की बारे में पूछा गया तब बताया कि इसकी जानकारी लेता हु और सुधार कराने की बात कही।
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भ्रष्टाचार की भेंट |
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