जशपुर से सागर सिंह की रिपोर्ट -
जशपुर। जशपुर जिला अस्पताल की लचर स्वास्थ्य सेवाएं फिर सवालों के घेरे में हैं। एक बार फिर रेफरल सिस्टम की खामियां सामने आईं, लेकिन इस बार एम्बुलेंस स्टाफ और मितानिन की तत्परता ने बड़ी त्रासदी को टाल दिया। 24 वर्षीय रेणुका कुजूर की डिलीवरी जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के बीच रेफर होते-होते रास्ते में ही सुरक्षित कराई गई।
घटना का विवरण:
सोमवार रात आस्ता गांव की रहने वाली रेणुका कुजूर को प्रसव पीड़ा के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां से उसे जिला अस्पताल भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने स्थिति को "क्रिटिकल" बताते हुए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।
मंगलवार सुबह जब उसे 108 एम्बुलेंस के जरिए अंबिकापुर ले जाया जा रहा था, रास्ते में बगीचा के पास तेज प्रसव पीड़ा हुई। इसी दौरान एम्बुलेंस में मौजूद मितानिन और स्टाफ ने तत्परता दिखाते हुए रेणुका की सफल डिलीवरी कराई।
सफल डिलीवरी:
एम्बुलेंस में मौजूद मितानिन नीलमणि पुष्पा तिर्की, EMT सिहासन किसपोट्टा और पायलट धनेश्वर राम चौहान ने मिलकर इस मुश्किल स्थिति को संभाला। रेणुका ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया, जिसका वजन 3 किलो है।
स्थानीय नेताओं और जनता की प्रतिक्रिया:
इस घटना ने जिला अस्पताल की बदहाल व्यवस्थाओं को उजागर कर दिया है। कांग्रेस शहर अध्यक्ष सहस्त्रांशु पाठक ने कहा, "जशपुर का जिला अस्पताल अब सिर्फ रेफर सेंटर बनकर रह गया है। यहां न डॉक्टर हैं, न सुविधाएं। यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं की असफलता का प्रमाण है। सरकार को तुरंत ठोस कदम उठाने की जरूरत है।"
स्थानीय मांगें:
1. जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति।
2. आधुनिक चिकित्सा उपकरणों और सुविधाओं की उपलब्धता।
3. रेफरल सिस्टम को पारदर्शी और बेहतर बनाना।
4. स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए सरकार का ठोस दखल।
निष्कर्ष:
इस घटना में मितानिन और एम्बुलेंस स्टाफ की तत्परता ने न केवल एक जीवन बचाया, बल्कि यह साबित किया कि सही निर्णय और प्रतिबद्धता किसी भी मुश्किल को पार कर सकती है। हालांकि, यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोरियों की ओर इशारा करती है, जिसे दूर करना अब बेहद जरूरी हो गया है
![]() |
एम्बुलेंस स्टाफ ने बचाई जान |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें