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शनिवार, 5 नवंबर 2022

पत्रकारिता के काम के बदले बना दिया विज्ञापन एजेंट, पब्लिक एप की तानाशाही से रिपोर्टर परेशान, मीटिंग में नहीं बनी बात, तीन दिन तक करेंगे हड़ताल, जानिए सबके चहेते पब्लिक एप्स की तानाशाही

Public App

जशपुर- पब्लिक एप की तानाशाही रवैया से देशभर के रिपोर्टर परेशान है। आये दिन रिपोर्टरों की पीड़ा सामने आ रही है। वे अपनी पीड़ा सोशल मीडिया के जरिये जाहिर कर रहे हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ के रिपोर्टरों भी परेशान है, वे एक विज्ञापन के नाम पर वसूली करने वाले पत्रकार बनकर रह गये है। इससे समाज में पत्रकारों की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। ऐसे में वे फील्ड में काम नहीं कर पा रहे हैं। अब तो खबर तक के लिए कोई फोन नहीं उठा रहा। ऐसे में वे काम कैसे करेंगे। रिपोर्टरों ने अपनी यह पीड़ा प्रबंधकों तक पहुंचायी है, लेकिन वे समझने को तैयार नहीं है। शोषण करने वाले संस्थान को दूध देने वाली गाय चाहिए। प्रबंधकों का कहना है कि जैसे नियम कायदे तय किये है, उसी हिसाब से काम करो,वर्ना नमस्ते कह दो।

पब्लिक एप में काम करने वाले छत्तीसगढ़ के एक रिपोर्टर ने बताया कि संस्थान के शोषण से तंग आ गए हैं। विज्ञापन के नाम पर जीना मुश्किल कर दिया है। रात के 12 बजे,1 बजे तक काल की जा रही है। चैन से सोने तक नहीं दिया जा रहा है। लूट मची हुई है। तीज, त्योहार, इवेंट सभी में इनको विज्ञापन चाहिए। अगर विज्ञापन का टारगेट पूरा नहीं किया तो आईडी ब्लाक करने की धमकी दी जा रही है। वहीं एड की वसूली नहीं हुई है, तो पेमेंट रोक दिया जा रहा है। समाज में अब पब्लिक एप को लेकर खराब माहौल बन गया है।  

पीड़ित पत्रकार ने बताया कि पब्लिक एप पहले दो साल तक खबर के एवज में पेमेंट देता था। यह सिलसिला करीब दो साल तक चला। लेकिन अब पिछले डेढ़ साल से पत्रकारों को विज्ञापन के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है। पत्रकार द्वारा लाये विज्ञापन से ही पेमेंट दिया जा रहा है। मान लो एक रिपोर्ट का महीने में 15 हजार पेमेंट बनता है तो उसे 30 हजार विज्ञापन लाने का टारगेट दिया जा रहा है। इसमें 15 हजार संस्थान की शुद्ध कमाई है। अगर उतना विज्ञापन नहीं ला पाये तो खबरों की संख्या कम कर दी जा रही है। बता दें कि पब्लिक एप एक खबर में मात्र 40 से 50 रुपए देता है। अब बताओ एक रिपोर्टर फील्ड से खबर भी लाएगा, इसके साथ विज्ञापन भी। ऐसे में व्यक्ति पत्रकार नहीं, एक बंधुआ मजदूर बनकर रह गया है। 

छत्तीसगढ़ के रिपोर्टर ने खोला मोर्चा, तीन दिन नहीं करेंगे काम

पब्लिक एप की इस प्रताड़ना से तंग आकर छत्तीसगढ़ के रिपोर्टरों ने मोर्चा खोल दिया है। प्रदेशभर के रिपोर्टरों ने अपनी समस्या को लेकर बैठक की। इसके बाद प्रबंधकों के साथ बैठक हुई। इस बैठक में प्रदेश के अलग अलग जिलो से 20 पत्रकारों ने भाग लिया। जबकि रिपोर्टरों की मीटिंग में 120 लोग शामिल हुए।

जानकारी के मुताबिक, बैठक में सभी की सहमति से यह निर्णय लिया गया है कि 6 नवंबर से 8 नवंबर तक छत्तीसगढ़  से एक भी खबर नहीं लगाई जाएगी। हम सभी की एक सूत्रीय मांग है कि हमारे पत्रकार साथियों को  विज्ञापन के नाम पर प्रताड़ित नहीं किया जाए। सभी इस आंदोलन में अपना पूर्ण समर्थन दें और विरोध स्वरूप 3 दिनों तक एक भी खबरें एप्लीकेशन में ना लगाई जाए।

जिन पत्रकारों को अन्य जिलों का टारगेट दिया जा रहा है और वे अज्ञानता वश ऐसा कर रहे हैं तो उनसे भी निवेदन है वह भी अपना सहयोग दें। पत्रकार एकता दिखाना आवश्यक है ताकि सभी प्रताड़ना से मुक्त हो पाए।

पब्लिक एप पत्रकार एकता जिंदाबाद

Three_day_no_story

विज्ञापन के नाम पर पत्रकारों का शोषण बंद करो

We want stree free working culture

संस्थान की बैठक में मूल समस्याओं पर नहीं हुई चर्चा

संस्थान द्वारा बुलाई गई बैठक में मूल समस्याओं को छोड़कर इधर उधर की बात की गई। जिससे रिपोर्टरों में काफी आक्रोश है। सभी ने प्रबंधकों को सबक सिखाने की ठानी है। तय किया है कि अब प्रदेशभर रिपोर्टर तीन दिन तक काम नहीं करेंगे। उनकी मांग है कि खबर और विज्ञापन अलग किया जाए। विज्ञापन के लिए अलग प्रतिनिधि नियुक्त किया जाए। इसके बाद भी अगर विज्ञापन टारगेट बंद नहीं किया तो यह आंदोलन आगे भी जारी रहेगा। 

बता दें कि सरगुजा संभाग और कोंडागांव, नारायणपुर वाले पहले ही आंदोलनरत है। यहां से खबरें नहीं लगाई जा रही है।

पब्लिक एप पीड़ित रिपोर्टर परिवार का कहना है कि उनकी बात किसी तरह संस्थान तक पहुंचे। वे किसी भी तरह की धमकी से डरने वाले नहीं है। वे अपनी मांग को लेकर अडिग है।

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