जशपुर ब्रेकिंग:--140 बसों में सिर्फ 20 चल रहीं, दिन में हर रूट पर सिर्फ एक बस, जो चल रहीं उनकी आधी सीट भी नहीं भर रहीं, . बस बंद करने पर मजबूर बस मालीक.. पढ़िए पूरी खबर - LSDNEWS: आवाज से अंजाम तक

LSDNEWS: आवाज से अंजाम तक

छिपाएंगे नही छापेंगे-आवाज से अंजाम तक

BREKING NEWS

आवश्यकता है

एलएसडी न्यूज में आपका स्वागत है, आपके आस पास के खबरों को साझा करने के लिए हमसे संपर्क करे 9926067366, 9399089869,

Ad

Ad

गुरुवार, 3 जून 2021

जशपुर ब्रेकिंग:--140 बसों में सिर्फ 20 चल रहीं, दिन में हर रूट पर सिर्फ एक बस, जो चल रहीं उनकी आधी सीट भी नहीं भर रहीं, . बस बंद करने पर मजबूर बस मालीक.. पढ़िए पूरी खबर

जशपुरनगर/अंकिरा:--- जिला के अनलॉक होने के 5 दिन बीतने के बाद भी बसों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। शहर के बस स्टैण्ड से छूटने वाली 140 बसों में से अभी सिर्फ 20 बसें ही चल रही हैं। इसमें से भी अधिकांश बसें रात्रिकालीन हैं। दिन में सभी रूटों पर सिर्फ एक या दो बसें ही चल रही हैं। शहर से सबसे ज्यादा संख्या में बसें झारखंड रूट पर रवाना होती हैं। झारखंड सरकार ने वहां लॉकडाउन की अवधि 10 जून तक के लिए बढ़ा दी है। ऐसी स्थिति में झारखंड रूट पर चलने वाली बसों के पहिए 10 जून तक थमे रहेंगे।



मोटर कर्मचारी एसोसिएशन के रविन्द्रनाथ पाठक बताया कि दिन में चलने वाली बसें धीरे-धीरे शुरू हो रही हैं। पर जो बसें चल रही हैं उसमें यात्रियों की संख्या बेहद कम है। 40 सीटर बसों में मुश्किल से छह से सात यात्री ही मिल पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में बसों के डीजल का खर्च निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है। बस स्टैण्ड के अलावा सड़क पर भी यात्री नहीं है। वर्तमान में रात्रिकालीन बसों में शाम 6.30 बजे से रात 10 बजे तक रायपुर व बिलासपुर के लिए बसें रवाना हो रही हैं। रात्रिकालीन आधी बसें ही चल रही हैं। रात में चलने वाली बसों में दो बसें कांसाबेल रूट से और बाकी बसें फरसाबहार रूट से निकल रही हैं। इधर दिन में जशपुर से बगीचा होते हुए अंबिकापुर के लिए दो बसें, जशपुर से आस्ता कुसमी होते हुए अंबिकापुर के लिए एक बस, जशपुर से सन्ना होते हुए अंबिकापुर के लिए एक बस, जशपुर से रायगढ़ के लिए एक बस, जशपुर से तपकरा होते हुए फरसाबहार के लिए एक बस चल रही है। दिन में बसों की संख्या में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हाे रही है। रोजाना एक दो बसें ही बढ़ रही हैं।

इन वजहों से बस संचालकों को नहीं मिल रहे यात्री

{संक्रमण का डर - संक्रमण के डर की वजह से यात्री बसों में सफर करने से डर रहे हैं। लंबी दूरी चलने वाली बसों में यात्री मिल जा रहे हैं पर दिन में चलने वाली बसें खाली जा रही हैं। कम दूरी तय करने के लिए लोग अपने दोपहिया वाहन का ही उपयोग कर ले रहे हैं। इसके अलावा अधिकांश लोग अभी सफर से बच रहे हैं। क्योंकि हर जगह संक्रमण का खतरा बना हुआ है।

{स्कूल कॉलेज बंद - स्कूल, कॉलेज व हॉस्टल के बंद होने के कारण लोगों का आना-जाना नहीं हो पा रहा है। रायपुर व भिलाई दुर्ग चलने वाली बसों में अधिकांश यात्री स्टूडेंट्स या उनके परिजन होते थे। पर बीते एक साल से हॉस्टल, कॉलेज बंद हैं तो स्टूडेंट्स पैसेंजर नहीं आ-जा रहे हैं। अभी रात्रिकालीन बसों में अधिकांश पैसेंजर लेबर वर्ग से हैं।

{ऑफ सीजन व छोटी गाड़ियां नहीं चल रहीं - सफर के लिए लिहाज से जून व जुलाई का सीजन ऑफ सीजन माना जाता है। क्योंकि ग्रामीण आबादी इस सीजन में खेती के काम मेें जुट जाती है। सिर्फ स्कूल व कॉलेजों में दाखिले के लिए लोगों को यहां से वहां आना-जाना होता है। ग्रामीण इलाकों से छोटी गाड़ियों के नहीं चलने की वजह से भी गांव के यात्री नहीं पहुंच पा रहे हैं।


कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराया जा रहा है

बस बुक करने वाले एजेंटों ने बताया कि संक्रमण के लिहाज से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराया जा रहा है। बसों में बगैर मास्क के यात्रियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग के लिए अभी अलग से कुछ नहीं करना पड़ रहा है। बस में यात्री इतने कम हैं कि हर सीट पर सिर्फ एक यात्री बैठकर सफर कर सकता है। 40 सीटर बसों में 10 से भी कम यात्री मिल रहे हैं। इससे बस चलाने का खर्च भी नहीं निकल पा रहा।

स्थिति सामान्य होने में लग जाएंगे महीनों

बुकिंग एजेंटों का कहना है कि स्थिति सामान्य होने में फिर महीनों लग सकते हैं। बीते साल के लॉकडाउन के बाद जब बसें चालू हुईं थीं तो एक से डेढ़ महीने तक बसों में यात्री नहीं मिल रहे थे। शुरूआती 15 दिन बस मालिकों ने नुकसान में बस चलाया था। इसके बाद डीजल व स्टाफ खर्च जितने सवारी मिल रहे थे। जब हर जगह से कोरोना संक्रमण ना के बराबर हुई तब जाकर सही ढंग से बसों का संचालन शुरू हो पाया था।

टैक्सी का किराया अभी भी डेढ़ से दोगुना ज्यादा

बसों के शुरू होने के बावजूद टैक्सी का किराया कम नहीं हुआ है। टैक्सी चालक यात्रियों से डेढ़ से दोगुना किराया वसूल रहे हैं। ई-पास लेकर रांची जाने के लिए टैक्सी चालक 5 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं। जबकि सामान्य दिनों में रांची का किराया 3 हजार रुपए है। रायगढ़ या अंबिकापुर जाने के लिए टैक्सी चालक 7 से 8 हजार रुपए मांग रहे हैं। बसें कम चल रही हैं इसलिए जिन्हें एक दिन मेंं किसी स्थान से जाकर लौटना है उनके लिए टैक्सी बुक करना मजबूरी है। इसका बेजा लाभ टैक्सी संचालक उठा रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट