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बीसी सखी के माध्यम से लेनदेन करती महिलाएं। |
जशपुर:----बढ़ते कोरोना संक्रमण के दौरान जहां बैंक से वित्तीय लेनदेन मे परेशानी हो रही है। ऐसे मे बीसी सखी, बैंकिंग कोरेस्पोंडेंट एवं डिजी-पे दीदी ग्रामीण क्षेत्रों में बैकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराई। गांव की महिलाओं में स्वावलंबन का मंत्र फूंक दिया है। कम-पढ़ी लिखी और घर से बाहर निकलकर महिलाओं ने समूह में छोटी बचत का गुर क्या सीखा कि उनमें आत्मनिर्भर बनने की ललक जग गई और बैंक सखी बन महिलाओं को आर्थिक आजादी का पाठ पढ़ाने लगीं।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पैसों के लेन देन मे परेशानी न हो इस बात को ध्यान मे रखते हुए बीसी सखी को कार्य करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया एवं समय पर लोगो को मनरेगा मजदूरी, किसान सम्मान निधि योजना,राजमिस्त्री और मशरूम की खेती कर रही महिलाएं, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, समस्त पेंशन योजना, बीमा योजना आदि की राशि समय पर निकासी हो इस पर प्रमुख रूप से ध्यान दिया गया ताकि लोगो को लॉकडाउन मे किसी भी प्रकार के वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत महिलाओं के लिए बनाए गए स्वयं सहायता समूह आधी आबादी को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। पिछले दो साल से एनआरएलएम महिला सशक्तिकरण की दिशा में सकारात्मक कार्य कर रहा है। इसका परिणाम है कि समूहों ने बड़ी कामयाबी हासिल की। वह बचत से आगे बढ़कर अपना खुद का काम शुरू कर रही हैं। बैंक में सखी बनकर समूह की महिलाएं अपनी अन्य बहनों को बैंकिंग सिखा रही हैं। सखी बनकर यह महिलाएं समूह की वित्तीय समस्याओं का हल भी करेंगी। ऐसी बैंक शाखाएं जहां कम से कम 30 समूहों के खाते खुले हैं, उन बैंक शाखाओं में एक सखी रखी गई हैं। बिहान योजना के जिला मिशन प्रबंधक विजय शरण प्रसाद द्वारा बताया गया कि पंचायत एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गांव-गांव तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत गठित स्वसहायता समूह की महिलाओं को बैंक सखी नियुक्त कर उन्हें इस कार्य के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
- लॉकडाउन की अवधि में भी 2 करोड़ 95 लाख का लेनदेन:--
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