अम्बिकापुर:-- छत्तीसगढ़ सरकार की मुख्यमंत्री पौधारोपण प्रोत्साहन योजना पर सवाल उठने लगे हैं। किसानों का कहना है कि इस योजना में धान के खेतों में पौधारोपण करने पर प्रति एकड़ 10 हजार का प्रावधान किया गया है। जबकि धान के खेत में बरसात में पौधारोपण करने से उन्हें नुकसान होगा, क्योंकि एक एकड़ में 20 क्विंटल धान होता है, जो 25 सौ रुपए क्विंटल के हिसाब से 50 हजार का होता है।
वहीं लागत 30 हजार के करीब आती है ऐसे में उन्हें हर साल 20 हजार का सीधा फायदा प्रति एकड़ धान की खेती पर होता है। तो वे धान की खेतों में पौधारोपण क्यों करें। यह भी कहना है कि सरगुजा के खेतों में बरसात में पौधरोपण नहीं किया जा सकता। क्योंकि खेतों में पानी भर जाता है। किसानों ने धान लायक खेतों को बनाया है। वहीं जो धान खेत मैदानी जमीन वाले थे अब उन्हें भी मनरेगा से समतलीकरण कराकर गहरे खेत बनवा दिए हैं। वहीं क़ृषि व उद्यान विभाग के अफसरों व मैदानी अमले का कहना है कि उन पर धान के खेत में पौधारोपण कराकर धान का रकबा कम करने का दबाव है। वहीं जब वे किसानों को धान के खेतों में पेड़ तैयार करने पौधे लगाने कहते हैं तो किसान उनका मजाक उड़ाते हैं। एक अफसर ने कहा कि किसान कहते हैं कि साहब तो पढ़े लिखे हैं। बताइये न धान के खेतों में आम कटहल और दूसरी प्रजाति के पौधे कैसे लगाएं। बारिश के बाद धान के मेढ़ वाले खेतों में पानी जमा है। अंबिकापुर उद्यान विभाग के एक मैदानी कर्मचारी ने कहा कि हमारे यहां जिले में 7 ब्लाक हैं। धान के खेतों में हमें प्रति ब्लाॅक रकबा 100 एकड़ कम कर पौधे लगवाने का टारगेट दिया गया है, लेकिन किसान जब योजना के बारे में सुनते हैं तो वे धान के खेतों में पौधे लगाने की योजना का मजाक उड़ाने लगते हैं।
सरकार की ये योजना इसलिए उठ रहे सवाल
छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री पौधारोपण प्रोत्साहन योजना शुरू की है। योजना छत्तीसगढ़ की राजीव गांधी किसान न्याय योजना जोड़ी गई है। अब जिन किसानों ने इस 2020 की खरीफ वर्ष में धान की फसल ली है, वो धान के बदले खेतों में पौधारोपण करते हैं, तो उन्हें आने वाले 3 सालों तक 10 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
लखनपुर निवासी किसान अभय सिंह का कहना है कि सरकार को इस योजना में संशोधन करने की जरूरत है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें