विशाल सिंह:-- एंटी- बैक्टीरियल गुणों से
भरपूर सहजन की खेती आदिवासी महिलाओं की किस्मत बदलेगी। उनके क्षेत्र में प्रायोगिक
तौर पर चार सौ पौधों की खेती की गई थी। प्रयोग सफल होने पर अब पांच हजार पौधे
लगाने का प्लान बनाया गया हैं। इससे क्षेत्र के 500 आदिवासी
परिवारों की किस्मत चमक सकेगी। सहजन की डिमांड देश सहित विदेशों तक हैं। ऐसे में
इसे विदेशों में भी सप्लाई की जाएगी।

क्षेत्र में महिलाओं में खून की कमी और बच्चों में
कुपोषण जैसी बीमारियों को पनपते देख पिछले वर्ष महीने से आयुष विभाग और सामाजिक
संस्थाओ द्वारा जिले में ग्राम स्तर हेल्थ शिविर का भी आयोजन कर रही हैं।
प्रायोगिक तौर पर 1100 परिवारों के साथ पोषणबाड़ी
कार्यक्रम चलाया गया, जिसमें 10 प्रकार की सब्जियों उगाई गई। विटामिन, प्रोटीन, आयरन भरपूर इन सब्जियों को
क्षेत्र के आदिवासी परिवार को उपयोग करने के लिए दी गई। 100 परिवारों के साथ 3000 पौधे लगाने शुरू किए गए। यह
पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा। बाजारों में जाकर महिलाओं ने इन सब्जियों को बेचा और
मुनाफा कमाया,
क्योंकि सहजन में एंटी-बैक्टीरियल गुण
पाया जाता है जो कोरोनाकाल में कई तरह के संक्रमण से बचाता हैं।
विशेषज्ञों ने कहां : इम्यूनिटी
बूस्टर हैं सहजन
जिला आयुर्वेदिक अस्पताल डॉ. एलआर भगत ने बताया कि
सहजन की फली और पत्तियां बहुत ही फायदेमंद है। यह इम्यूनिटी को तो बढ़ाता ही है साथ
कैंसर, मधुमेह, हड्डियों के लिए हृदय को स्वस्थ
रखने, एनीमिया, लीवर, पेट के लिए फायदेमंद हैं। सहजन में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाया जाता
है, जो कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने में मददगार है। इसमें
मौजूद फाइबर कब्ज की समस्या में राहत देता हैं। अस्थमा, बलगम, खून साफ करने में भी सहजन का
सेवन फायदेमंद हैं। 100 ग्राम सहजन की पत्तियों में 5 गिलास दूध के बराबर कैल्शियम होता है। वहीं एक नींबू के रस की
तुलना में इससे पांच गुना अधिक विटामिन-सी मिलता है। सहजन की पत्तियों में
कैल्शियम और विटामिन-सी के अलावा प्रोटीन, पोटेशियम, आयरन, मैगनीशियम और विटामिन-बी
कॉम्पलैक्स भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
यह आयुर्वेदिक औषधि भी
सहजन की पैदावार दक्षिण भारत में यह पूरे साल होता
है। इसी कारण इसका इस्तेमाल सांभर बनाने में होता है। इसके फूलों की भी सब्जी बनाई
जाती है, लेकिन फलियों की सब्जी तो हमेशा ही बनती है। आयुर्वेद
चिकित्सकों की माने तो सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों काफी लाभदायी होते हैं।
वहीं इसकी फली वात व उदरशूल में जबकि पत्ती नेत्ररोग, मोच, सायटिका, गठिया आदि की परेशानियों में काफी फायदेमंद होता है। लोग सहजन का
सूप भी बनाकर पीते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें