अंकिरा/जशपुर:-- नगर पालिका के द्वारा शहर के वार्ड क्रमांक 2 में वार्डवासियों की सुविधा के लिए एक सामुदायिक भवन का निर्माण कराया गया था। लेकिन नगर पालिका ने 5 वर्ष पहले उस सामुदायिक भवन को शहर आजीविका केंद्र के रुप में बदल दिया गया। लेकिन उद्घाटन होने के बाद से ही इस केंद्र में ताला लटका हुआ है। जिसके कारण वार्ड के लोगों को ना तो सामुदायिक भवन का लाभ मिल पा रहा है और ना ही नगर पालिका के द्वारा स्थापित किए गए आजीविका केंद्र का लाभ मिल पा रहा है।

नगर पालिका के द्वारा वर्ष 2015 में वार्ड क्रमांक 2 के सामुदायिक केंद्र का कायाकल्प कर उसे शहरी आजीविका केंद्र बनाया दिया गया है। इस केंद्र की स्थापना के लिए बाकायदा नगर पालिका की एमआईसी बैठक में प्रस्ताव पास किया गया था। प्रस्ताव पास हो जाने के बाद शहर में एक शहरी आजीविका केंद्र खुलना था। इस केंद्र को खोलने के लिए नगर पालिका द्वारा आनन फानन में 15 अगस्त 2015 से पहले सामुदायिक केंद्र को शहरी आजीविका केंद्र के लिए तैयार कर लिया था। इसके तैयार हो जाने से लोगों को उम्मीद जग गई थी कि अब इसका लाभ लोगों को मिल सकेगा, लेकिन विडंबना यह है कि इस केंद्र का उद्घाटन होने के बाद से इसमें ताला लटक रहा है और नगर पालिका परिषद इसकी सुध तक नहीं ले रहा है। जिसके कारण वार्ड क्रमांक 2 में बना हुआ सामुदायिक भवन पिछले पांच वर्षों से अनुपयोगी बनकर रह गया है।
रोजगार उपलब्ध कराना था प्राथमिकता - केन्द्र के माध्यम से विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की भूमिका निभाएगा। जिसमें संबंधितों को लांड्री सेवाएं, ब्यूटी पार्लर,कारपेंटरी,बावर्ची, आया, प्लंबर, टेंट हाउस व डेकोरेशन,कॅरियर सेवाएं, रेलवे आरक्षण, टायपिंग, फोटोकापी, केटरिंग,वीडियो शूटिंग, दीवाल पेटिंग, एयर टिकट, ऑनलाइन कार्य, ड्राइविंग लाइसेंस व पेन कार्ड,बस टिकट आरक्षण, लेखा कार्य, ट्रांसपोर्ट, पासपोर्ट, छोटे उद्यमियों द्वारा निर्मित माल का विक्रय, सर्वे कार्य, टेंडर, विज्ञापन, कच्चे माल की खरीद सेवा प्लेसमेंट आदि शामिल है।
आजीविका सेंटर इस उद्देश्य से खोला गया था
शहरी आजीविका केन्द्र संघ समूह व कौशल प्रशिक्षणार्थियों एवं संभावित खरीददारों के मध्य कड़ी का काम करता। कौशल प्रशिक्षार्थी को काम व खरीदार के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई जाती। केन्द्र संबंधितों को व्यापार के संबंध में जानकारी, व्यापार में सहयोग, प्रशिक्षण व क्षमता विकास उपलब्ध कराया जाना था।
पांच साल में चुनाव के लिए एक बार खुलता है सेंटर
शहर के वार्ड क्रमांक 2 में बनाया गया सामुदायिक भवन नगर पालिका की उदासीनता के कारण पूरी तरह से अनुपयोगी होकर रहा गया है। जिस उद्देश्य से सामुदायिक भवन को शहरी आजीविका केंद्र बनाया गया था, उस उद्देश्य की पूर्ति भी नहीं हो पा रही है। इस सामुदायिक केंद्र को पालिका के चुनाव के दौरान वार्ड 2 के लिए मतदान केंद्र भी बनाया जाता है। वहीं मतदान के दौरान वार्ड वासियों के मतदान करने के लिए 5 वर्षों में मात्र एक ही दिन सफाई कर इसे खोला जाता है। वहीं मतदान के बाद पुन: इसे बंद कर दिया जाता है।
पीआईसी बैठक में इस मुद्दे पर चर्चाकर लेंगे फैसला
नगर पालिका के पीआईसी बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करने के बाद इस केंद्र को पुन: प्रारंभ करा दिया जाएगा। इसके प्रारंभ हो जाने से निश्चित ही शहर के लोगों को इस केंद्र का लाभ मिलेगा।'''' राजेश गुप्ता,उपाध्यक्ष,नगर पालिका जशपुरशहरी आजीविका केंद्र में लटक रहा ताला।
समाज के कार्यक्रमों के लिए बना था सामुदायिक भवन
शहर के नागरिकों को सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रमों के लिए एक स्थान उपलब्ध कराने सामुदायिक भवनों का निर्माण कराया जाता है। हर मोहल्ले में ऐसे कार्यक्रमों के लिए सुविधायुक्त स्थान की जरूरत पड़ती है, जहां मोहल्ले के लोग शादी-विवाह समारोह कर सकें। अपने घर आने वाली बारात को ठहरा सकें या फिर कुछ अन्य रचनात्मक कार्यक्रम कर सकें। शहर के लोगों को सहूलियत देने के लिए नगर पालिका ने कई वार्डों में सामुदायिक भवन बनाया है। लेकिन पालिका की उदासीनता के कारण लोगों को सामुदायिक भवन का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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