अंकिरा:-- जिले में लॉकडाउन के दौरान सैकड़ों मौतें हुई हैं। यह मौतें स्वाभाविक होने के साथ-साथ कोरोना संक्रमण से भी हुई। मौतों के बाद परिजनों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र लेना बड़ी समस्या बन गई है। जिले में 11 अप्रैल से लॉकडाउन जारी है। इस दौरान सुरक्षागत कारणों से सरकारी विभाग भी बंद हैं, ताकि संक्रमण का फैलाव ना हो सके। इससे अब तक सबसे बड़ी समस्या होने वाली मौतों के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आ रही है। जिला मुख्यालय जशपुर के अलावा कुनकुरी, पत्थलगांव, बगीचा, कोतबा, फरसाबहार, कांसाबेल, मनोरा, सन्ना में यह समस्या सामने आयी है। नियमानुसार मौत के 21 दिनों के अंदर मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करना होता है इसलिए लोग असमंजस में हैं कि आखिर क्या करें। शहरी या कस्बाई इलाकों में नगर पालिका नगर पंचायत आदि के अलावा यह आवेदन लोक सेवा केंद्र में भी दिया जाता है।
अभी क्योंकि सभी विभाग बंद हैं, इसलिए आवेदन भी नहीं दिए जा रहे हैं। जशपुर जिला मुख्यालय के रहने वाले राजेश सोनी ने बताया कि उनके भाई आदित्य सोनी की स्वाभाविक रूप से मृत्यु हो गई। मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन भी किया है। लेकिन लॉक डाउन की वजह से अभी मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है।
ग्रामीण इलाकों में समस्या नहीं
शहरी इलाकों की तुलना में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए ग्रामीण इलाकों में बनाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। पंचायत स्तर पर इसकी व्यवस्था की गई है। जिला पंचायत सीईओ के एस मांडवी ने बताया कि कोविड के दौरान हुई मौत के मृत्यु प्रमाण पत्र तत्काल बनाए जा रहे हैं जिससे किसी को परेशानी ना हो।कई कामों जरूरी है मृत्यु प्रमाण पत्र परिवार के किसी सदस्य मुखिया की मृत्यु होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र से उसके निकटतम सगे संबंधियों की पहचान होती है। इसके अलावा बीमा संपत्तियों के मामले और मृतक के बैंक खातों में भी इसकी जरूरत होती है।
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