डेस्क रिपोर्ट:--रायपुर -- कोरोना माहमारी में भी कुछ लोग अपनी जेब गर्म करने में लगे हुए है। राजधानी में जारी लॉकडाउन के बीच भी कुछ ऐसे फर्जी डॉक्टर आ गए है जो कोरोना की फर्जी रिपोर्ट लोगों को देकर उनसे हज़ारों रुपए वसूलते है। कोरोना महामारी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है, लेकिन लोग इसकी गंभीरता को ना समझकर धोखाधड़ी और ठगी में लग गए है। ये फर्जी डॉक्टर कोरोना की फर्जी रिपोट्र्स लोगों को दे देते है, और उनसे दोगुना ज्यादा पैसा वसूल लेते है। एक बार फिर से कोरोना के मामले बढऩे लगे हैं। वहीं इस बीच एक फर्जी कोरोना रिपोर्ट बनाने वाले गैंग की सूचना सामने आ रही है। जो कोरोना की फर्जी रिपोर्ट बनाते है और लोगों से भारी पैसा वसूल लेते है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये पता चला है कि कई ऐसे डॉक्टर अब जिले में घूम रहे है जिनके पास ना तो कोई सर्टिफिकेट है और ना ही कोई डिग्री फिर भी ऐसे डॉक्टर लोगों का कोरोना टेस्ट करके उनकी रिपोर्ट तैयार कर रहे है।
डॉक्टरों की ये होती है चाल:-
पुलिस की अपराध शाखा में कालाबाज़ारी जुड़ी :--
रायपुर पुलिस की अपराध शाखा ने रायपुर में रेमडेसिवीर की कालाबाजारी के सिलसिले में मामला दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी। जिसमें पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल का रास्ता भी दिखाया है। राजधानी में एंटीवायरल दवा रेमडेसिवीर की कथित कालाबाजारी के सिलसिले में पुलिस ने कई लोगों से तस्दीक की है लेकिन पुलिस को इसके हेड की तलाश है जो सभी लोगों को इस इंजेक्शन की डोज़ देता है। पुलिस ने पिछले दिनों में आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया है इसी इंजेक्शन की कालाबाज़ारी करते हुए। इन लोगों को तो पुलिस ने जेल के रस्ते भेज दिया है लेकिन अब भी इस इंजेक्शन की कालाबाजरी करने वाले खुलेआम शहर में घूम रहे है। जिनकी तलाश रायपुर पुलिस कर रही है और जल्द ही पुलिस को इस मामले में बड़ी सफलता भी मिल जाए।
क्या है रेमडेसिविर? :--
रेमडीसिविर एक एंटी-वायरल दवा है जो शरीर के अंदर वायरस को फैलने से रोकता है। हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए कैलिफोर्निया के गिलीड साइंसेज ने इस दवा को बनाया था। लेकिन, यह इस हेपेटाइटिस सी पर कभी भी कारगर नहीं हो पाया। दवा बनने के बाद लगातार इसपर रिसर्च चलता रहा। बाद में इसका इस्तेमाल इबोला वायरस के इलाज के लिए शुरू कर दिया गया।

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