जशपुर से सागर सिंह की रिपोर्ट
जशपुर जिले का तमता केशलापाठ पहाड़ ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से परिपूर्ण एक स्थान है, जिसे अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की जा रही है। इस स्थान की महत्ता का संबंध महाभारत काल से है, जब पांडवों ने वनवास के दौरान यहां समय बिताया था।
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कहानी के अनुसार, बकासुर राक्षस ने इस पहाड़ पर अपना निवास बना लिया था और आसपास के गांवों से भोजन और इंसानों की बलि की मांग करता था। पांडवों की माता कुंती ने अपने पुत्र भीम को राक्षस के पास भेजा। भीम ने बकासुर से युद्ध कर उसे मार गिराया। इस विजय की स्मृति में हर वर्ष यहां पौष पूर्णिमा के बाद तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है।
प्राकृतिक और धार्मिक आकर्षण
यह पहाड़ लगभग 400 फीट ऊंचा है, और इसे चढ़ने के लिए 365 सीढ़ियां बनाई गई हैं।
यहां बैगा जनजाति के लोग प्रतिदिन नारियल फोड़कर प्रसाद बांटते हैं।
स्थानीय लोग इस पहाड़ को गांव देवता के रूप में पूजते हैं और मानते हैं कि यहां मांगी गई मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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पर्यटन स्थल बनाने की मांग
स्थानीय उपसरपंच और क्षेत्र के नेताओं ने छत्तीसगढ़ सरकार से इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की अपील की है। उनका मानना है कि इससे न केवल क्षेत्र की धार्मिक महत्ता बढ़ेगी, बल्कि पर्यटन के जरिए आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा।
सरकार की योजना
सरगुजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और पत्थलगांव विधायक ने आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार धार्मिक और पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह स्थल अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक सुंदरता के कारण न केवल स्थानीय, बल्कि बाहरी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है।
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