अम्बिकापुर :-- मैनपाट में हाथियों का उत्पात बढ़ता जा रहा है। अब वन विभाग के अफसरों व वनकर्मियों पर ग्रामीणों का गुस्सा फूट रहा है। शनिवार रात ग्रामीणों वो वन कर्मचारियों के बीच जमकर विवाद हुआ।
ग्रामीणों का कहना था कि वनकर्मी गजराज वाहन लेकर
सड़क पर खड़े रहते हैं। इसके कारण हाथी गांव में आ जाते हैं। हाथी अंधेरे में कोहरा
में नहीं दिखते हैं। उनके पास टार्च तक नहीं है। इसके कारण वे ट्रेक्टर की लाइट
जलाकर हाथियों पर निगरानी रखने की कोशिश करते हैं। रात में यहां हाथियों ने सात
मकानों को फिर से तोड़ दिया। अब तक माह भर के भीतर 65 मकानों को तोड़ चुके हैं।
मैनपाट के टाटीढाब, बरडांड और कडराजा गांव
में करीब 150 मकान हैं। जिनमें से अब
तक 65 मकानों हाथियों ने तोड़ दिए हैं। इसके कारण ये परिवार बेघर
हैं। इससे आंगनबाड़ी भवन के एक-एक कमरे में कई लोगों को ठूंसकर रखा गया है। शनिवार
रात में जब हाथियों का दल जंगल की तरफ जा रहा था। ग्रामीणों का आरोप है कि तब
वनकर्मी गजराज वाहन लेकर सड़क में खड़े थे। वे बस्ती तरफ नहीं आते, इसके कारण हाथी गांव आ जाते हैं। इससे उन्हें ट्रेक्टर लेकर
हाथियों की निगरानी करनी पड़ रही है। ग्रामीणों का कहना था कि रात में वनकर्मी गांव
में नहीं आते हैं। इसके कारण विवाद हुआ। वन कर्मियों से कहा कि जब आप लोग हाथी भगा
नहीं सकते तो आते क्यों हैं। नाराज ग्रामीणों ने कहा कि अब हमें कोरोना से अधिक डर
हाथियों से है, क्योंकि ये घर उजाड़कर सीधे जान ले
सकते हैं, मरने के बाद मुआवजा मिलेगा ही तो क्या करेंगे।


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