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मंगलवार, 29 जून 2021

हाथियों ने 7 घर तोड़े तो ग्रामीणों का आधी रात में वनकर्मियों पर फूटा गुस्सा, बोले- हाथी भगा नहीं सकते तो यहां पर क्यों आते हो, जानिए क्या है मामला

अम्बिकापुर :-- मैनपाट में हाथियों का उत्पात बढ़ता जा रहा है। अब वन विभाग के अफसरों व वनकर्मियों पर ग्रामीणों का गुस्सा फूट रहा है। शनिवार रात ग्रामीणों वो वन कर्मचारियों के बीच जमकर विवाद हुआ।

ग्रामीणों का कहना था कि वनकर्मी गजराज वाहन लेकर सड़क पर खड़े रहते हैं। इसके कारण हाथी गांव में आ जाते हैं। हाथी अंधेरे में कोहरा में नहीं दिखते हैं। उनके पास टार्च तक नहीं है। इसके कारण वे ट्रेक्टर की लाइट जलाकर हाथियों पर निगरानी रखने की कोशिश करते हैं। रात में यहां हाथियों ने सात मकानों को फिर से तोड़ दिया। अब तक माह भर के भीतर 65 मकानों को तोड़ चुके हैं। मैनपाट के टाटीढाब, बरडांड और कडराजा गांव में करीब 150 मकान हैं। जिनमें से अब तक 65 मकानों हाथियों ने तोड़ दिए हैं। इसके कारण ये परिवार बेघर हैं। इससे आंगनबाड़ी भवन के एक-एक कमरे में कई लोगों को ठूंसकर रखा गया है। शनिवार रात में जब हाथियों का दल जंगल की तरफ जा रहा था। ग्रामीणों का आरोप है कि तब वनकर्मी गजराज वाहन लेकर सड़क में खड़े थे। वे बस्ती तरफ नहीं आते, इसके कारण हाथी गांव आ जाते हैं। इससे उन्हें ट्रेक्टर लेकर हाथियों की निगरानी करनी पड़ रही है। ग्रामीणों का कहना था कि रात में वनकर्मी गांव में नहीं आते हैं। इसके कारण विवाद हुआ। वन कर्मियों से कहा कि जब आप लोग हाथी भगा नहीं सकते तो आते क्यों हैं। नाराज ग्रामीणों ने कहा कि अब हमें कोरोना से अधिक डर हाथियों से है, क्योंकि ये घर उजाड़कर सीधे जान ले सकते हैं, मरने के बाद मुआवजा मिलेगा ही तो क्या करेंगे।




घर टूटने से कई को रिश्तेदारों के यहां रहने की मजबूरी


हाथियों के उत्पात से ग्रामीणों कि दिनचर्या बदल गई है। ग्रामीण दिन में टूटे घर से सामान को सुरक्षित कर रहे हैं। वहीं रात आंगनबाड़ी भवन में बिता रहे हैं। जहां जगह कम होने से पड़ोसियों व रिश्तेदारों के घर रह रहे हैं। खेती का अब समय है लेकिन हाथियों के कारण कई परिवारों ने अब तक धान बोवाई नहीं की है।


एक महीने में मैनपाट के टाटीढाब, बरडांड और कडराजा गांव में 150 में से 65 घर तोड़ चुके हैं हाथी




ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों का कहना है कि माह भर से मैनपाट के लोग हाथियों से परेशान हैं, लेकिन प्रशासन इस मामले में ग्रामीणों का हाल जानने नहीं आ रहा है और न ही विभाग के बड़े अफसर इसमें दखल दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव को हाथी मुक्त किया जाए या उन्हें किसी सुरक्षित जगह पर विस्थापित किया जाए।


ग्रामीण बोले- अब हमें कोरोना से अधिक हाथियों से लग रहा डर, क्योंकि ये घर उजाड़ कर सीधे ले सकते हैं जान मरने के बाद मुआवजा का क्या होगा
जिला प्रशासन नहीं दे रहा दखल, ग्रामीणों में गुस्सा
ग्रामीणों का गुस्सा जायज नहीं, कर रहे हैं निगरानी


हम लोग कठिन हालत में हाथियों की निगरानी कर रहे हैं। इसके बाद भी ग्रामीणों का गुस्सा जायज नहीं है। कई वनकर्मी रात में ड्यूटी कर बीमार हो रहे हैं, लेकिन क्या करें...। हमने तो पूरी ताकत झोंक दी है। विभाग जितना हो सकता है उतना कर रहा है। फेकू चौबे, रेंजर, मैनपाट
बरडांड में हाथियों ने कुछ इस तरह तहस-नहस कर दिए घर।



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