अंकिरा : जिले में लम्बे समय से तपकरा वन परिक्षेत्र और नारायणपुर बादलखोल अभयारण्य में वन और पानी की व्यवस्था की वजह से हाथी मौजूद है। हाथियों की मौजूदगी की वजह से इंसान और हाथियों को टकराव भी होता रहता है। इन दिनों गांवों पेड़ों पर लगे कटहल पक गए है, जिसे खाने के लिए हाथी गांव के अंदर घुस रहे हैं। वन विभाग ग्रामीणों को हाथियों की मौजूदगी की जानकारी देने के साथ-साथ कटहल को तोड़ लेने की समझाइश दे रही है।
बीते 16 महीने के दौरान ही हाथियों के हमले से कम 15 लोगों की जानें जा चुकी है। 2020 से मई 2021 के बीच जिले में तीन हाथियों की मौत भी हो चुकी है। जिले में मौजूद कटहल के पेड़ हाथियों को आकर्षित करते है । कटहल के पेड़ के नजदीक जाने से लोगो को खतरा बना रहता हैं। पड़ोसी राज्य झारखंड के पालमू और सारण्डा और ओडिशा में लौह अयस्क आधारित खदान व उद्योगों के विकसित होने से प्राकृतिक आवास गवां चुके हाथी को मनोरा, बादलखो, फरसाबहार तहसील के घने जंगल, जलाशय और नदियों की उपलब्धता भा गई।
यही वजह है कि इन क्षेत्रों को हाथियों का स्थायी आवास बना लिया है। वनविभाग के अनुसार इस वक्त तपकरा वनपरिक्षेत्र में 9 हाथी है। इनमें टीकलीपारा के सतपुरिया जंगल में 4,गारीघाट में 3 और जमुना व तपकरा में एक एक हाथी शामिल हैं। तुमला थाना क्षेत्र के टीकलीपारा गांव में इन दिनों इन हाथियों का आंतक चरम सीमा पर है। सतपुरिया जंगल हाथियों का पसंदीदा जगह बन चुका है। इन दिनों यहां तीन हाथियों ने डेरा जमाया हुआ है।
कटहल खाने के बाद पेड़ को भी उखाड़ दे रहे
ग्राम पंचायत नारायणपुर के चिटकवाइन, टांगरटोली, चारभाटी के ग्रामीणों ने बताया कि कटहल के खुश्बू से हाथी गांवों की ओर आ रहे हैं। ग्राम पंचायत नारायणपुर के चिटकवाइन, टांगरटोली, चारभाटी में दो दिनों पहले हाथियों के आने से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है। ग्रामीणों को रतजगा करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कटहाल को खाने के चक्कर में हाथी सूंड में लपेटकर पूरे पेड़ को ही धाराशायी कर देते हैं। इसके साथ ही किसानों के सब्जी की फसल को रौंद कर किसानों को हाथी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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